हमारे देश की नयी शिक्षा नीति बनाने में भारत पर आधारित शिक्षा नीति बनी है जो स्वागत योग्य है,यद्यपि 1968,व1986 में बनी शिक्षा नीति भी अच्छी थी लेकिन उसमें जन भागीदारी न होने के कारण वह ठीक प्रकार से लागू नहीं हो पाई थी—देशराज शर्मा महामंत्री विद्ध्या भारती।
विद्ध्या भारती उत्तर क्षेत्र के महामंत्री श्री देव राज शर्मा,उत्तर क्षेत्र महामंत्री विजय नड्डा तथा हिमाचल के अध्यक्ष श्री मोहन सिंह केष्टा ने आज शिमला में एक संयुक्त प्रैस वार्ता में केंद्र सरकार द्वारा घोषित नयी शिक्षा नीति की प्रसंशा करते हुए कहा कि आजादी के अमृत काल 75 वर्ष पूरे होने पर सरकार द्वारा घोषित नयी शिक्षा नीति देश की भाषा संस्कृति तथा संस्कारों पर आधारित है जो कि स्वागत योग्य नीति है।उन्होंने कहा कि सरकार ने नीति बनाते समय समाज के सुझाव लिए जिसमें 6’50 लाख सुझाव आये जिसमें शिक्षविदों अभिभावकों विद्ध्यार्थियों के कई महत्वपूर्ण सुझाव आये उसके आधार पर शिक्षा नीति बनाई गई है।
श्री देसराज शर्मा ने कहा कि नई शिक्षा नीति में प्राचीन व आधुनिकता का समावेश है।भविष्य की चुनौतीपूर्ण समस्याओं को भी ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के द्रटिकोण को जिसमें आधुनिक भारत की परिकल्पना है को भी नयी शिक्षा नीति में संलिप्त किया गया है जो बहुत ही सराहनीय प्रयास है।
विद्या भारती के पदाधिकारियों ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की श्री जयराम ठाकुर की सरकार भी शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय कार्य कर रही है,कोविड काल की विषम परिस्थिथायों को दरकिनार करते हुए सरकार द्वारा प्री स्कूल, मैपिंग कौशल विकास, पाठ्यचर्चा की तैयारी करने हुए कई अन्य राज्यों से आगे निकल कर कार्य किया है जिसके लिए प्रदेश सरकार प्रशंशा की पात्र है।
28 अगस्त से हिमाचल सरकार जिला स्तर पर विद्यार्थी अध्यापक,अभिभावक व अधिकारी प्रशिक्षण संस्थानोः के माध्यम से प्रशिक्षण की योजना बना रही है।यह क्रियान्वयन के लिए महत्वपूर्ण कदम है।
गणेश दत्त।
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