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कोरोना बीमारी का कोई अंत नहीं,नये नये प्रयोग और नई नई गाइडलाइंस हैं,पहले गाइडलाइंस में कोरोना महामारी से बचाव के लिए प्लाजमा थैरेपी को कारगर बताया गया था,लेकिन अब उसे कोरोना प्रोटोकोल से हटाने का निर्णय लिया गया है।

किसी समय प्लाजमा थैरेपी को  कोरोना उपचार के लिए कारगर बताने वाले डाक्टर वैज्ञानिक अब पलाज्मा थेरैपी को अवैज्ञानिक और कोरोना प्रोटोकोल के खिलाफ बता रहे हैं।ताजा निर्देशों के अनुसार ICMR ने प्लाजमा थेरेपी को अकारगर व अवैज्ञानिक बता कर उसे प्रोटोकोल से हटा दिया गया है,इससे यह स्पष्ट है कि कोरोना एक बहरपिये की तरह डाक्टर, समाज को नचा रहा है।

चिन्ता की बात यह है कि बड़ा शोर है कि कोरोना की तीसरी लहर आ रही है जिसका सीधा असर छोटे बच्चों पर होगा।यद्यपि तीसरी लहर का कोई स्पष्ट आधार नहीं दिख रहा है यह एक काल्पनिक सोच के आधार पर प्रचारित किया जा रहा है,तीसरी लहर के शोर के बाद समाज में भय का वातावरण अवश्य पैदा हो गया है।यदि वैज्ञानिकों के पास इसके कोई पुख्ता प्रमाण हैं या कोई वैज्ञानिक जानकारी है तो निश्चित ही उसकी तैयारी या चिन्ता अवश्य होना चाहिए। एक बात खुलकर सामने आ रही है कि यह एक ग्लोबल षडयंत्र और फार्मास्यूटिकल्स उद्योग का अपने प्रोडक्ट बेचने का एक षडयंत्र है।लेकिन हमारा सामाजिक तंत्र बहुत ही संवेदनशील है,इसलिए हर शंका और भावी समस्याओं के प्रति संवेदनशील व सजग रहता है।उम्मीद रखनी चाहिए कि सारी समस्यायें पार हो जायेंगी। बुरा समय निकल जायेगा।और कोरोना का राक्षस बिना ज्यादा नुकसान पहुंचाये निकल जायेगा।

गणेश दत्त।

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