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लोकतंत्र में गाली खायें ,नीद उड़ायें सत्ता वाले,प्रधान मंत्री से मुख्य मुख्य मंत्री से हर पल जवाब मांगें विपक्ष वाले।सत्ता पक्ष के साथ विपक्ष की भी जिम्मेदारी बनती है या नहीं?

हमारे देश का चरित्र क्यों बदल गया।देश संकट के दौर से गुजर रहा है।सबकी जिम्मेदारी बराबर है चाहे पक्ष हो या विपक्ष हो।लेकिन आज देश की विपक्षी पार्टियों का एक ही काम रह गया है कि विपक्ष की आलोचना ही नहीं उसकी हालत ही बुरी कर दो।आज देश महामारी की परिस्थिति से गुजर रहा है।सत्ता पक्ष जहां प्रधान मंत्री रात दिन देश को संकट से बाहर निकालने का भरसक प्रयास कर रहे हैं,कभी डाक्टरों से बातचीत, कभी प्रशासन से चर्चा कभी वैज्ञानिकों से परामर्श तो कभी पार्टी के लोगों को गरीब की मदद की सख्त हिदायत, कभी संसाधन जुटाने की कसमकस।

विपक्ष है कि मानता ही नहीं,एक समय जब भारत पाकिस्तान की  लड़ाई चली हुई थी भारत जीत गया था इन्दिरा गांधी प्रधान मंत्री थी अटल विहारी वाजपेयी जी विपक्ष के नेता थे,उन्होंने इन्दिरा जी को दुर्गा का अवतार कहा था,वह भी विपक्ष था,लेकिन आज भी विपक्ष है,हर बक्त गाली देने का मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहता।महामारी के संकट में कभी प्रधान म॔त्री की हो या मुख्य म॔त्री की कभी दो शब्दों मे तारीफ नहीं की,उल्टा अभद्र असभ्य भाषा का प्रयोग कर सरकार को कोसने के अलावा कोई काम नहीं।इसे हम लोकतंत्र की खूबी कहें या लोकतंत्र का विगड़ता स्वरूप, इस पर निश्चित ही देश की जनता को विचार करना चाहिए।

गणेश दत्त।

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