हिमाचल में चौथा उपचुनाव आ गया।क्या रहेगा उप-चुनाओं का परिणाम?क्या अर्की से राजा की सीट ले सकेगी भाजपा?मण्डी संसदीय उपचुनाव, फतेहपुर और जुब्बल कोटखाई अब रणक्षेत्र रहेंगे दोनों पार्टियों के।
हिमाचल प्रदेश अब 4 उपचुनाव को झेलेगा।पहले कोविड के कारण प्रदेश के विकास के कार्य प्रभावित हुए अब शीघ्र ही उपचुनावों की लड़ी हिमाचल के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थित लेकर आ रहे हैं।सत्तारूढ पार्टी भारतीय जनता पार्टी तथा विपक्षी कांग्रेस पार्टी अब उपचुनाव में एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश में लग जायेंगे।
यह जगजाहिर है कि किसी भी कमी को सत्ता पक्ष के गले मढ़ा जाता है,चाहे कसूर सत्ता का ना भी हो।कोविड काल में सरकार ने रात दिन काम किया चाहे किसी प्रकार की भी समस्या आई हो मुख्य मंत्री सहित पूरा प्रशासनिक अमला सदा सक्रिय रहा लेकिन जिसका कोई व्यक्ति चला गया वह सरकार की नाकामी के नाम डल गया।
यह निश्चित ही कांग्रेस के लिए बड़ा सदमा व राजनीतिक क्षति है कि स्व’वीरभद्र सिंह जैसा नेता कांग्रेस के पास अब नहीं है छिसकी दहाड़ से उनकी पार्टी और विपक्ष दोनों थरथराते थे।उनकी कमी कांग्रेस को निश्चित ही खलेगी तथा भारतीय जनता पार्टी को इसका लाभ अवश्य मिलेगा।लेकिन भारतीय जनता पार्टी को भी अंदर के दीमकों से बचना पड़ेगा तब जाकर पार्टी को सफलता मिल सकती है।
कुल मिलाकर आने वाले समय में सत्ता पक्ष व विपक्ष को चारों खाने काम करना है।देखना यह होगा कि जिस की रणनीति अच्छी होगी वह विजयी होगा और जिसकी रणनीति दोषपूर्ण होगी वह चारों खाने चित होगा।इस समय दोनो दलों के लिए अपने क्षेत्र बचाने की चुनौती है।
वीरभद्र सिंह जी की क्षतिपूर्ति कांग्रेस के लिए बड़ी कठिन है।
गणेश दत्त सम्पादक।
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