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हिमाचल विधान सभा चुनाव पर जनता का मिजाज साफ है लेकिन राजनीतिक दल कन्फ्यूज हैं, हिमाचल का गणित बड़ा साफ है, विश्वास बढाने की आवश्यकता है ,प्रदेश की जनता कुछ कन्फ्यूज नहीं है लेकिन राजनीतिक दल कन्फ्यूज हैं सभी को पता है दूध देने वाली गाय केवल भाजपा ही है,कांग्रेस तो अब बांझ हो गई है 65 हज़ार करोड़ के कर्ज से केवल मोदी सरकार ही मुक्त कर सकती है हिमाचल को, पार्टियों को चुनाव तक संयम रखना होगा।

हिमाचल प्रदेश विधान सभा का चुनाव नवम्बर माह में होना संभावित है,राजनीतिक दल पूरे दमखम के साथ चुनाव के मैदान में उतरने का प्रयास कर रहे हैं,पार्टियों में आयाराम गया राम का सिलसिला भी जारी है।एक दूसरे को पटखनी देने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है तू डाल डाल तो में पात पात व नहले पे दहला वाली खेल-कूद भी जारी है।

इस बार भारतीय जनता पार्टी पुन:सरकार में आने व मिशन रिपीट के लिए हर संभव प्रयास कर रही है तो कांग्रेस अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को बहाल करने के लिए प्रयासरत है।हिमाचल प्रदेश में अभी तक दो पार्टियों का ही चलन रहा है यदा कदा तीसरा विकल्प खड़ा करने का प्रयास किया गया लेकिन वह विकल्प बर्षाती नाले की तरह सूखता रहा है।इस बार कांग्रेस ‘  भाजपा के साथ आप पार्टी भी हिमाचल में अपनी उपस्थिति दर्ज करने के फिराक में है लेकिन वह अभी तक दूर की कौड़ी नजर आ रही है।

भारतीय जनता पार्टी के लिए सुखद स्थिति यह है कि केंद्र में आदरणीय नरेंद्र मोदी की सरकार है जो हिमाचल के प्रति बहुत ही संवेदनशील भी है और प्रदेश की आर्थिक मदद के लिए भी हर वक्त तैयार रहती है, हिमाचल की श्री जयराम ठाकुर की सरकार ने भी सामाजिक सरोकार की बहुत सी योजनायें शुरू की हैं जिसका लाभ पार्टी व सरकार को मिल सकता है लेकिन आज की चिंता क्या है वह है पार्टी के कैडर को साथ लेकर चलना ।इस समय स्थानीय स्तर पर कार्यर्ताओं और नेताओं के बीच सामंजस्य  की कमी व अविश्वास की भावना से कुछ कार्यकर्ता उस उत्साह से नहीं लग पा रहे हैं जिसकी पार्टी को अपेक्षा है लेकिन पार्टी नेतृत्व के लगातार सम्पर्क में रहने के कारण धीरे धीरे कार्यकर्ता अपनी लय में आ जायेंगे।इस समय पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री सौदान सिंह हर मण्डल में बैठक कर कार्यर्ताओं और बरिष्ठ नेताओं को साथ चलाने का प्रयत्न कर रहे हैं।पार्टी प्रभारी सहप्रभारी भी प्रदेश के लगातार दौरों पर हैं।

कांग्रेस की स्थिति इस समय बिना दूल्हे की बारात जैसी है।पूर्व मुख्य मंत्री वीरभद्र सिंह जी मृत्यु के बाद कोई भी नेता सभी को साथ चलाने की स्थिति में नहीं है,कांग्रेस का केन्द्रीय नेतृत्व भी कमजोर है और प्रदेश का नेतृत्व विखरा हुआ है।हिमाचल में आप पार्टी अपनी उपस्थिति दर्ज करने के लिए हाथ पांव तो मार रही है लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी है।

भारतीय जनता पार्टी के लिए सबसे सुखद स्थिति केन्द्र में अपनी पार्टी की सरकार का होना है।वित्तीय संकट से गुजर रही प्रदेश सरकार को केन्द्र से बहुत सहयोग मिल रहा है यदि दूसरी पार्टी की सरकार केन्द्र में हो तो उतनी सहायता नहीं मिल सकती जितनी कि आवश्यकता होती है इस समय प्रदेश लगभग 65  हजार करोड़ के कर्ज में है ब्याज देनदारी पेंशन पर बहुत राशि खर्च होती है।यदि प्रदेश में विपरीत पार्टी की सरकार बनती है तो सरकार चलाना कठिन नहीं मुश्किल हो जाता है।इसलिए प्रदेश का समझदार मतदाता सत्ता पक्ष को ही अपना वोट देगा जिससे सरकार सुचारू रूप से चल सके।जनता तो क्लीयर है लेकिन राजनीतिक दल कन्फ्यूज हैं।इसलिए धीरे धीरे अब स्थिति स्पष्ट होती जायेगी।

गणेश दत्त।

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