हिमाचल की सुखविंदर सिंह सरकार के कितने पावर सैंटर, क्या कांग्रेस हाईकमान पूरी तरह सुक्खू के साथ खड़ा है या संयुक्त नेतृत्व काम करेगा।प्रतिभासिंह को साथ चलाना आवश्यक या मजबूरी,प्रतिभासिंह ने कयों कहा कि यदि ठाकुर कौलसिंह चुनाव जीत जाते तो सुक्खू की जगह कौलसिंह मुख्य म॔त्री होते, क्या अभी भी प्रतिभासिंह के मन में कुछ मलाल है।सुक्खू के मुख्य संसदीय सचिव अपनी नियुक्ति व अधिकारों से कितने संतुष्ट,आने वाला समय सुक्खू सरकार के लिए कितना चुनौतीपूर्ण होगा,बजट सत्र में सरकार के पत्ते खुल जायेंगे।
हिमाचल की सुखविंदर सिंह सरकार का काम करने का स्टाइल धीरे धीरे सामने आना शुरू हो गया है।विनम्रता व शिष्टाचार के मुद्दे पर सुखविंदर सिंह सुक्खू अभी तक अबब्ल आये हैं,जिस प्रकार से उन्होंन विपक्ष के नेताओँ शान्ता कुमार जी;धूमल जी व चोटग्रस्त सुरेश भारद्ज से मिलकर उनके हाल व अपनी ओर से हर सहयोग की बात की है उसमें निश्चित ही सुखविंदर सिंह सुक्खू एक शालीन व्यक्ति के रूप में सामने आये हैं।
सुखविंदर सिंह सुक्खू के चयन के समय जो माहौल गर्म दिखता था वह धीरे धीरे सतह पर आता नजर आ रहा है लेकिन अभी यह कहना कठिन होगा की “आल इज वैल” एक ओर कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती प्रतिभासिंह का प्रैसर ग्रुप काम करता है तो दूसरी ओर अभी सभी बरिष्ठ विधायकों को क्षेत्रवार प्रतिनिधित्व मिलना शेष है सीट तीन हैं लेकिन 13लोग ऐसे हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।जिन विधायकों को मुख्य संसदीय सचिव बनाया गया है वे सभी भी खुश नहीं हो सकते लेकिन इस बात की कोशिश की गई है कि सभी खुश रहें।
अभी तक हाईकमान का बर्दहस्त सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ है लेकिन देर सबेर क्या होगा यह भविष्य के गर्व में है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्षा श्रीमती प्रतिभासिंह का एक बयान कि यदि कौलसिंह ठाकुर चुनाव जीत जाते तो सुखविंदर सिंह की जगह वह मुख्य मंत्री होते यह अपने आप में बड़ा व्यान है।इसी प्रकार के कई और मुद्दे भी हैं जो आने वाले समय में सरकार की परख को कसौटी में कसेंगे लेकिन खुक्खू के लिए एक अच्छी बात यह है कि हाईकमान सुक्खू के साथ खड़ा है बाकियों को साथ चलाना समय की मजबूरी है।
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