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आजकल मुख्य मंत्री कार्यालय के दो अधिकारी भ्रष्टाचार के आरोप में चर्चा में हैं ,पत्र गुमनाम है हमले खतरनाक हैं और मुख्य मंत्री कार्यालय को भ्रष्टाचार के साथ जोड़ा गया है,लगता है मामला संगीन है हालांकि गुमनाम पत्र हर सरकार के समय में आते रहते हैं,जिस प्रकार के संगीन आरोप लगाए गये हैं गुमनाम पत्र जारी करने वाले को सामने आना चाहिए और तथ्यों के साथ न्यायालय में अथवा सरकार की जांच ऐजैन्सियों के पास जैसे सी बी आई या बिजीलैंस के पास जाना चाहिए जिससे कि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।

हिमाचल के दो I A S अधिकारियों के खिलाफ एक पावर प्रोजेक्ट के आबंटन व उसमें हुई अनियमतताओं को नियमित करने के उद्देश्य से करोड़ों रुपए का लेन-देन होने का आरोप लगाकर इसकी जांच करने की मांग की गई है।

हालांकि यह गुमनाम पत्र है,पत्र किसी गुमनाम व्यक्ति के नाम से डाला गया है जिसकी प्रमाणिकता को सत्यापित नहीं किया जा सकता लेकिन जिस उद्देश्य को लेकर पत्रबम फोड़ा गया है उसकी तह में जाना जरूरी है।

गुमनाम पत्रों के माध्यम से सरकार व सरकार के नजदीकी अधिकारियों पर इतने संगीन आरोप लगाए जा रहे हों तो मामला तो संगीन लगता है।व्यक्ति को चाहिए कि वह अपना नाम जाहिर करे जिससे आरोपों  की पुष्टी हो सके अन्यथा यह एक दूसरे पर हमला करने का माध्यम बन कर रह जायेंगे।

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