कर्नाटक का “नाटक” तो खत्म हुआ लेकिन नाटक दुबारा कभी भी, नयी सरकार का नाटक कब तक चलेगा, पार्टी नेताओं के साथ मुश्लिम नेताओं का दबाव, मुश्लिम उलेमाओं की सत्ता में भागीदारी की मांग क्या गुल खिलायेगी ,सरकार चलाने के लिए कितना कठिन होगा?सिद्धिदारमैया व डी के शिवकुमार को सत्ता देकर संतुलन बनाने का प्रयास जरूर हुआ लेकिन कठिन डगर है इस पनघट की।कर्नाटक आयाराम गयाराम के के लिए काफी मशहूर है।
कर्नाटक का नाटक थोड़े समय के लिए तो खत्म हुआ लेकिन आगे क्या होगा यह भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है।जातीय क्षेत्रीय संतुलन के साथ साथ मुश्लिम उलेमाओं का दबाव कितना चुनौतीपूर्ण होगा यह भी समय ही बतायेगा।मुख्य मंत्री उप- मुख्य मंत्री को मुश्लिम के कथन कि 71 सीटों पर मुस्लिमों ने कांग्रेस को जिताया है,हमें उप मुख्य मंत्री और 5 कैबिनेट मंत्री दो की मांग गृह मंत्रालय हमें दो ,को भी कांग्रेस सरकार कैसे निपटाती है यह भी समय ही बतायेगा।
गणेश दत्त।
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