कांग्रेस अब मांगने वाली पार्टी बनकर रह गई है,गठबंधन के सहयोगी दल सहयोग करेंगे या एक दूसरे को निपटायेंगे? कठिन दौर से गुज़र रही है कांग्रेस पार्टी ,दूसरे दलों से कह रही है दे दाता के नाम तुझको अल्ला रखे,अखिलेश ने 17 सीटें दी कांग्रेस ने सहर्ष स्वीकार कर ली,दिल्ली में केजरीवाल ने 3 सीटें दी वे ही स्वीकार कर ली अब ममता जितनी सीटें देगी उतनी ही मंजूर कर लेगी,इससे बुरी हालत और क्या हो सकती है जब कांग्रेस देने वाली नहीं मांगने वाली पार्टी बन गई है.
कांग्रेस पार्टी जिस प्रकार से दूसरी पार्टियों से गठबंधन कर रही है उस से कांग्रेस पार्टी पर तरस आ रहा है,कांग्रेस ऐसी स्थिति नहीं है कि किसी गठबंधन वाली पार्टी से एक सीट भी अधिक मांग ले.गठबंधन के बाद कांग्रेस के पुराने दिग्गज नाराज हो गये हैं चाहे खुर्शीद अहमद हों चाहे अहमद पटेल का बेटा हो दोनों ने कांग्रेस हाईकमान को आंख दिखा दी है.इसी प्रकार के हालात आगे भी देखने को मिल सकते हैं जब कांग्रेस के बागी और कांग्रेस गठबंधन के सहयोगी एक दूसरे को निपटा कर ही दम लेंगे.
गणेश दत्त.
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