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शिमला नगर कितने टैंक्सों का बोझ डालेगा शहर वासियों पर? आम जनता अब और टैक्सों का बोझ सहन नहीं कर सकती है,नगर निगम को हर साल टैक्स बढ़ाकर जनता को दंडित करने के बजाय अपने संसाधन बढ़ाकर खर्च पुरे करने चाहिए. नगर निगम की सबसे बड़ी आय हाउस टैक्स है लेकिन नगर निगम अभी तक आधे शहर को भी हाउस टैक्स के लिए चिह्नित नहीं कर सका है कारण मैनपावर की कमी.

समाचार है कि शिमला नगर निगम आज से कूड टैक्स और हाउस टैक्स बढ़ाकर जनता पर बोझ डालने जा रहा है.शहर वासी अब और टैक्सों का बोझ सहन करने की स्थिति में नहीं है.

नगर निगम को पता है कि हमारे पानी के मीटरों की प्रतिभूति सिकोर्टी नगर निगम के पास जमा है,हमारे बिजली के मीटरों की प्रतिभूति बिजली विभाग के पास जमा है,हमें उसका व्याज नहीं मिलत है ,पानी के बिलों में मिनिमम चार्ज हर महिने लगते हैं.अब पानी के रेट बढ़ाये जा रहे हैं.जो सरासर गलत है,नगर निगम को चाहिए कि वह नगर निगम क्षेत्र के शतप्रतिशत घरों को टैक्स के अधीन लाकर हर साल बढ़ते टैक्सों पर   ब्रेक लगाये ,निगम में अभी तक हजारों घरों को चिन्हित नहीं किया गया है उन्हें टैक्स अधीन लाकर आय बढ़ाई जा सकती है.लेकिन हर साल टैक्स बृद्धि करना उचित नहीं है.

गणेश दत्त.

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