हिमाचल सरकार को कर्ज और देनदारी का ब्याज चुकाने के लिए भी कर्ज लेना पड़ेगा, साल के अंत तक प्रदेश का कर्ज 1 लाख करोड़ तक पहुंच जायेगा,सरकार कर्ज लेने की सीमा को पार कर जायेगी ,सरकार के पास विकास के लिये केवल 90% विशेष राज्य की केंद्रीय सहायता ही रह जायेगी,शायद प्रदेश को अपने हिस्से की 10% राशि को जुटा पाना भी कठिन हो जायेगा ,सरकार अब केंद्रीय सहायता पर ही निर्भर रहेगी,सरकार की घोषणायें तो गगन चुंम्बी हैं लेकिन पल्ले कुछ नहीं है,मुख्य मंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने खुद भी चिंता जाहिर की है कि देनदारी और ब्याज के भुगतान के लिये भी कर्जा लेना पड़ेगा बहुत दयनीय स्थिति बनती जा रही है आर्थिक संकट की.
हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति दिन प्रतिदिन चिंताजनक होती जा रही है,मुख्य मंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी आर्थिक संकट पर चिंता जाहिर की है,हालात ऐसे बन रहे हैं कि कर्ज लेने की सीमा भी समाप्त हो जायेगी.कुछ क्षेत्रों में सरकार को आर्थिक आपातकाल जैसी परिस्थिति झेलनी पड़ सकती है हो सकता है कि वेतन और पैंशन पर भी कैंची लगानी पड़ सकती है.
अभी कर्मचारी खामोश हैं उनकी देय किस्तें बाकी हैं वे भी कब तक इंतजार करेंगे यह भी सोचने का विषय है.सरकार ने ओ पी एस तो लागू कर दिया लेकिन उसे लागू करने में सरकार के अधिकारियों के पशीने छूट रहे हैं,आने वाला समय सरकार के लिए आर्थिक संकट से जूझने वाला और केंद्रीय सरकार पर निर्भर रहने वाला होगा.
गणेश दत्त.
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