हिंन्डनबर्ग एक सनसनीखेज मुदा लाया है, भारत के खिलाफ एक और षडयंत्र, यही हिंन्डनबर्ग पिछले साल भी अवतरित होकर भारत में आया था और मामले के तूल पकड़ने के बाद सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गया था,उस समय उसके सनसनीखेज मुद्दे में कुछ नहीं निकला था लेकिन एक बार फिर निवेशकों के मन में भय पैदा करने के लिए नये अवतार में आया है,इस बार सेबी की चेयरमैन पर सवाल खड़े करने के उद्देश्य से आया है,आरोप हे कि सेबी अध्यक्ष अदानी के साथ कंपनी में भागीदार है,इस पर जब खोजबीन हुई तो पता चला कि 2015 में वर्तमान सेबी अध्यक्ष की इन्वेस्टमेंट अदानी की कंपनी में थी लेकिन उसका आज की स्थिति से कोई लेना देना नहीं है.वह उस समय किसी निजी बैंक में कार्यरत थी.
आजकल अमेरिकन रिसर्च कंपनी हिंन्डनबर्ग ने भारत के शेयर बाजार में तहलका मचा रखा है,उसका आरोप है कि सेबी की चेयरमैन का अदानी की कंपनी में शेयर है,इस स्टेटमैंट से भारत की राजनीति में एकाएक तूफान सा आ गया है,कांग्रेस पार्टी ने तो इस सनसनीखेज छद्म मुद्दे को हाथोंहाथ ले लिया है,कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने तो इस मुद्दे को प्रधान मंत्री सेबी अध्यक्ष और अदानी से जोड़कर शेयर बाजार में निवेश करने वालों के मन में एक डर पैदा करने का प्रयास किया है.हालांकि इस पूरे प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय ने जांच पड़ताल की है लेकिन अब नये सिरे से ,नये रूप में हिंन्डनबर्ग को लाकर देश के अर्थतंत्र को कमजोर करने का प्रयास किया है,आज यह देखना होगा कि हिंन्डनबर्ग की सनसनीखेज खबर का शेयर बाजार में क्या असर होता है.निवेशक हिंन्डनबर्ग की सनसनीखेज रिपोर्ट पर विश्वास करते हैं या उस रिपोर्ट को रद्दी की टोकरी में फैंकते हैं.
गणेश दत्त.
गणेश दत्त.
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