हिमाचल में भांग की खेती वैध,लेकिन परिणाम क्या होगा यह भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है,अच्छी बात यह है कि भांग की खेती को कानूनी वैधता दिलाने के लिए दोनों पार्टियां एकमत हैं ,आश्चर्य की बात यह है कि राजस्व मंत्री ने सदन में यह बताया कि भांग दो प्रकार की होती है ,एक नशे वाली और दूसरी बिना नशे की,यह हमारे गले नहीं उतर रही है हमने तो सुना है और देखा है कि भांग नशे वाली ही होती है.बिना नशे की भांग नहीं घास होती है.
हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती को कानूनी तौर में मान्यता प्राप्त हो गई है,विधान सभा में भांग खेती पर.सरकार के तर्क में यह स्पष्ट किया गया कि भांग की खेती को औषधीय और औद्योगिक क्षेत्रों में उपयोग किया जायेगा,सरकार ने यह भी यह भी तर्क दिया कि भांग दो प्रकार की होती है एक नशे वाली और दूसरी बिना नशे के,लेकिन इस तर्क में दम नहीं है.भांग में नशा तो होगा ही किसी में कम तो किसी में ज्यादा.होगा
आम जनता में भांग की खेती को वैधता देने पर अलग अलग मत हैं,एक वर्ग इसे केजरीवाल की शराब नीति की तरह बता रहा है.लोगों का कहना है कि इस से प्रदेश में नशाखोरी बढ़ेगी और युवा इससे अधिक प्रभावित होंगे.अभी सरकार को इस संबंध में नीति-निर्माण करना है किस प्रकार भांग की खेती को औषधीय और औद्योगिक क्षेत्रों उपयोग में लाया जायेगा और इसका इस्तेमाल करने वाले किसान प्रकार से इसे सरकारी क्षेत्र में पहुंचायेंगे,जिस से समाज विरोधी दो नंबर का धंधा नहीं कर सकेंगे, यह अभी नीति-निर्माण के बाहर आने के बाद पता चलेगा.
गणेश दत्त .
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