सभी राजनैतिक पार्टियां अपनी शक्ति सकारात्मक कार्यों में लगायें तो पार्टियों को भी और समाज को भी इसका लाभ हो सकता है,प्रदेश में चिट्टा,ड्रग्स नशे का सामान प्रदेश के हर घर में पहुंच गया है भविष्य के लिए खतरनाक साबित होता जा रहा है लेकिन राजनीतिक पार्टियों के लिए यह मात्र विरोध का सामान बनकर रह गया है,हिमाचल में पुलिस विभाग का समौसा कांड एक राष्ट्रीय मुद्दा बनकर सामने आया है और मीडिया की सुर्खियों का समाचार समौसे ने बना दिया है लेकिन इस अनावश्यक मुद्दे से प्रदेश व समाज को क्या लाभ हुआ मात्र जगहंसाई, यदि इस स्तर पर नशा व चिट्टा और अन्य मादक पदार्थों के प्रचलन के खिलाफ्द आन्दोलन होते तो समाज और नयी पीढ़ी बर्बादी के कगार पर पपहुंने से बच जाती. लेकिन प्रदेश सरकार व विपक्षी पार्टियों के लिए यह केवल चर्चा करने के लिए काफी हो गया है. और जनता के लिए चटकारे मारने के लिए काफी हो गया है.
हिमाचल प्रदेश के पुलिस विभाग में मुख्य मंत्री की बैठक के लिए लाये गये समौसे ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी जगह बना ली है,आज हिमाचल का हर घर मादक पदार्थ, चिट्टा नशा घर घर में पहुंच गया है लेकिन सरकार व राजनैतिक पार्टियां किसी जनान्दोलन करने के लिए तैयार नहीं है,लेकिन एक समौसा कांड जिसको मीडिया ने हाथों हाथ लेकर राष्ट्रीय मुद्दा बना दिया है,
यह आश्चर्य का विषय है कि हम विषयों की पहचान नहीं कर पा रहे हैं कि कौन सा मुद्दा समाज के लिए घातक है और कोन सा मुद्दा एक मजाक का विषय है.
पुलिस विभाग में किसी ने मुख्य मंत्री के लिये समौसा मंगया और किसी और ने खा दिया,इस विषय पर मीडिया में राष्ट्रीय स्तर पर चटकारे लगाये जा रहे ,इस मुद्दे से प्रदेश को को क्या लाभ हानि हुई मात्र यह कि समौसा किसने खाया की सी आई डी जांच कराने की मूर्खता की गई है यह एक मजाक के विषय के अलावा और कुछ नहीं है, कि सरकार के अधिकारी कितने संवेदनशील हैं.
इसके विपरीत यदि सरकार नशा,चिट्टा और सुलफा के प्रचलन के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाती तो जनता से वाहवाही मिलती लेकिन ऐसा हो न सका.हुआ समौसा किसने खाया की सी आई डी जांच और किस पर आयेगी आंच?
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