भोटा स्थित राधास्वामी चैरिटेबल अस्पताल के भूमि हस्तांतरण पर आजकल बबाल मचा हुआ है,धारा 118 में संशोधन कर सरकार ने राधास्वामी संस्थान को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया जा रहा है,एक विवाद के कारण राधास्वामी संस्थान द्वारा संचालित भोटा का चैरिटेबल अस्पताल बंद हो गया था,उसे लेकर स्थानीय लोगों में काफी असंतोष व्याप्त था,सुक्खू सरकार ने अभी हाल ही में संपन्न विधान सभा सत्र में थारा 118 में संशोधन कर राधास्वामी अस्पताल को पुन:चालू करने का मार्ग प्रशस्त किया है लेकिन कुल लोगों का आरोप यह है कि सरकार इस संशोधन का दुरुपयोग कर सकती है,राधास्वामी संस्थान एक जनकल्याण करने और व्यक्ति में अध्यात्मिक सोच सेउसे श्रेष्ठ नागरिक बनानें का कार्य करती आ रही है राधास्वामी संस्थान से किसी को आपत्ति नहीं है,लेकिन 118 के अन्यत्र दुरुपयोग होने की शंका बनी रहेगी.
अभी हाल ही में विधान सभा सत्र में धारा 118 में संशोधन किया गया है,इसका विपक्ष ने भी विरोध नहीं किया है,स्वभाविक धा कि धारा 118 के जटिल प्रावधानों के कारण भोटा स्थित रामास्वामी चैरिटेबल अस्पताल बंद हो गया धा,फलस्वरूप जनता के दबाव के आगे सरकार को भूमि सुधार एक्ट की धारा में संशोधन करना आवश्यक हो गया था,होना भी चाहिए, कोई भी कानून बनते हैं तो वह जनकल्याण के लिए बनाय जाते हैं न कि व्यवधान डालने के लिए,
हिमाचल प्रदेश में धारा 118 के संशोधन के बाद हिमाचल के कई बोनाफाइड नागरिक दो नंबर के नागरिक बन गये हैं,1972 में जब पहली बार इस कानून में बदलाव हुआ तो 1972 से पहले के निवासियो के अधिकार सुरक्षित नहीं रखे गये थे,उसके बाद इस एक्ट में 5 बार संशोधन हुए लेकिन एक्ट के बनने से पहले के निवासियों के अधिकार सुरक्षित नहीं रखे गए, अब इस कानून में संशोधन हुआ है यह संशोधन अभी राष्ट्र पति जी की मंजूरी के लिए जायेगा,क्योंकि टैन्नसी एण्ड लैण्ड रिफार्म्स एक्ट भारत के संविधान की नवीं सूचि में वर्णित है.कुछ भी हो सरकार ने संशोधन कर दिया है,इसका सदुपयोग हो इसका निजी स्वार्थ के लिए दुरूपयोग न हो ऐसी अपेक्षा की जाती है.
गणेश दत्त.
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