नगर निगम शिमला अब अपने मूल रूप से हटकर शराब के ठेके खोलेगा और शराब बेचेगा,नगर-निगम ने एक प्रस्ताव पास कर अपनी आय बढ़ाने के लिए नई तरकीब निकाली है,ऐसा लगता है कि किसी व्यक्ति ने धर्म कर्म छोड़कर बूचड़खाना खोलने की सोची है,शिमला शहर को साफ-सफाई, शुद्ध जल,पार्किंग, सड़कों का ठीक प्रबंधन रखरखाव, आवारा कुत्तों,बंदरों के आतंक से मुक्ति और चुस्त-दुरुस्त स्टाफ की जरूरत है लेकिन नगर-निगम इन सब चीजों से हटकर अब शराब बेचेगा,जगह ढारे खड़े करेगा शहर की सुन्दरता पर ग्रहण लगायेगा,कानून व्यवस्था खराब करने का आमंत्रण देगा,यह विकृत सोच किसकी है यह ठेके खुलने के बाद ही पता चलेगा.
नगर निगम शिमला की एक विकृत सोच सामने आई है,आय बढ़ाने के लिए पूरे शहर में शराब के ठेके खोलने का निर्णय लिया है,सूत्रों के अनुसार हिमाचल सरकार ने नगर निगम को ग्रांट देने से मना कर दिया है और कहा है कि आय के साधन खुद ढ़ूढों, नगर निगम को सूझा की जगह जगह ढाबे खड़े करके उनमें ठेके खोले जांय,एक तो नाम सरकारी होगा और लोग सरकारी ठेके में अधिक से अधिक शराबी खरीदारी करने आयेंगे,शराब के ठेके खोलने का आफ्टर अफैक्ट बाद में पता चलेगा.
नगर निगम अपनी मूल जिम्मेदारी से भटक रहा है,कहावत है कि जिसका काम उसी को छापे ,लेकिन जगह जगह ठेके खोलने से कानून और व्यवस्था की स्थिति खड़ी होगी,हिमाचल पहले ही उड़ता हिमाचल के नाम से सारे देश में मशहूर हो गया है एक नई मुसीबत शराब के कारोबार से खड़ी हो जाएगी.
नगर निगम यदि ईमानदारी से पूरे शहर और नगर निगम क्षेत्र में मिलाये गये शहर से हाउस टैक्स इकट्ठा करे तो उसको और कुछ करने की जरूरत नहीं है लेकिन नगर निगम के पास घर घर जाकर टैक्स पेयर का डाटा इकट्ठा करने के लिए स्टाफ नहीं है इसलिए हाउस टैक्स इकट्ठा नहीं हो पा रहा है अब नौबत शराब बेचने पर आ गई है लेकिन यह निश्चित है कि नगर निगम को शराब के ठेका से लाभ नही बड़ी हानि होगी.
गणेश दत्त.
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