आप्रेशन सिंदूर के ऐतिहासिक विजय के बाद विपक्ष ने संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है,उदाहरण भी दिया कि 1962 की लड़ाई के बाद तत्कालीन विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेई जी ने विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी और उसे स्वीकार किया गया था,विपक्ष को यह पूछा जाय कि क्या आप अटल बिहारी वाजपेई जैसी देश-भक्ति अपने ऊपर ला सकते हो,जो अटल बिहारी वाजपेई की अपने से तुलना कर सके,विपक्ष को यह मांग करनी चाहिए कि एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जाय,जिस में विदेश गये डेलिगेशन अपने विचार सांझा करें और सारा विश्व पाकिस्तान के बारे में क्या सोचता है उसके बारे में सर्वदलीय बैठक में चर्चा हो ,ऐसा विपक्ष नहीं चाहेगा,उसे तो ह॔गामा खड़ा करने में मजा आता है।
ओपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद अब विपक्ष का संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग में कितना दम है? यह आज राजनैतिक क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है ,देश का विपक्ष पुरजोर मांग कर रहा है कि संसद का विशेष सत्र बुलाकर आप्रेशन सिंदूर का सारा विवरण सांसदों के समक्ष रखा जाय, यद्यपि सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों ने सिलसिलेवार आप्रेशन सिंदूर की सफलता और सेना के विजय का विवरण रख दिया है,तो विपक्ष को सरकार पर नहीं सेना पर तो विश्वास होना चाहिए।
ओपरेशन सिंदूर क्यों किया गया और पाकिस्तान ने किस प्रकार मानव जीवन को अपनी आतंकवादी भूख का शिकार बनाकर पहलगाम में 27 निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या कर दी थीं और उसके बाद सेना जो कारवाई की उसको लेकर सरकार ने सर्वदलीय डेलिगेशन को सारे विश्व के देशों में भेजा, और पाकिस्तान को विश्व पटल पर अक्सपोज किया,अच्चा होता विपक्ष उसकी तारीफ करता लेकिन विपक्ष का काम तो हंगामा खड़ा करना मात्र रह गया है,सरकार चाहे तो संसद का विशेष सत्र बुला भी सकती है लेकिन क्या विपक्ष सुनने को तैयार है?नहीं विपक्ष केवल हंगामा हुड़दंग मचाने के उद्देश्य से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहा है।
गणेश दत्त।
Please Share This News By Pressing Whatsapp Button