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“विनाश काले विपरीत बुद्धि” ,महाराष्ट्र में ठाकरे भाइयों की बुद्धि भ्रष्ट हो गई है,एक दूसरे के खून के प्यासे उद्भव ठाकरे और राज ठाकरे हिन्दी विरोध के नाम से आज इकट्ठा हो रहे हैं,कैसी बिड्म्बना है मातृभाषा का विरोध करने के लिए लम्बे समय से बिछुड़े हुए हिंन्दी का विरोध करने के लिए इकट्ठा हो रहे हैं,महाराष्ट्र की सत्तारूढ सरकार क्या कर रही है,हिंदी बोलने वालों की सरेआम पिटाई हो रही है,सरकार तमाशा देख रही है ,हिन्दीभाषी लोग डर के मारे मुंह नहीं खोल रहे हैं,जो लोग मराठी नहीं बोल सकते उन्हें कयों मारा पीटा जा रहा है? सरकार के पास है कोई उत्तर नहीं?

आजकल महाराष्ट्र में हिन्दी भाषा को लेकर खासा उन्माद पैदा हो रहा है,ठाकरे भाई हिन्दी विरोध के नाम पर आज इकट्ठा हो रहे हैं कैसी बिडम्बना है माता का मातृभाषा का हिन्दुत्व का विरोध महाराष्ट्र के ठाकरे भाइयों के घर से पैदा हो रहा है,चींटी के पर निकल आये हैं विनाश तय है।

हमारे देश में क्षेत्रीय दलों के प्रभाव के बढ़ने के कारण राष्ट्रीयता गौण होती जा रही है,कोई जाति के नाम से तो कोई क्षेत्र विशेष के नाम से तो कोई इलाका के नाम से अपनी राजनीति की रोटियां सेक रहा है।पहले तमिलनाडू में हिंदी को लेकर वहां लोग राजनीति करते रहे हैं लेकिन महाराष्ट्र में हिन्दी का विरोध समझ से परे है।महाराष्ट्र सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि हिन्दी भाषा का विरोध क्यों हो रहा है?क्या यह महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ कोई षडयंत्र है या अपनी राजनीति चमकाने का खेल है इसे तुरंत ब॔द किया जाना चाहिए, महाराष्ट्र में 40% से अधिक लोग हिन्दी भाषी हैं यदि ये सभी उठ खड़े हों तो ठाकरे भाइयों की बोलती ब॔द हो जायेगी,लेकिन उन के संरक्षण की जिम्मेदारी भी तो किसी को लेनी पड़ेगी और महाराष्ट्र की सरकार को ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की कोशिश करनी चाहिए जो हिन्दी बोलने वालों के खिलाफ मारपीट और उत्पीड़न कर रहे हैं।

गणेश दत्त।

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