हिमाचल का गुड़िया दुष्कर्म व जघन्य हत्याकांड में न्याय नहीं अन्याय हुआ है।जनभावनायें CBIकी जांच व कोर्ट की सजा से संतुष्ट नहीं।
हिमाचल प्रदेश के कोटखाई के तांदी जंगल में एक मासूम की जघन्य हत्याकांड के बाद में सारे देश को हिलाकर रख दिया था।एक मासूम बच्ची की अस तरह से की गयी हत्या हिमाचल जैसी देव भूमि पर एक कलंक की तरह थी।जनता को भारी उम्मीद थी कि इस जघन्य अपराध में शामिल दोषी को पकड़कर जेल की काल कोठरी तक पहुँचा जा सेगा लेकिन ऐसा नहीं हो सका।देश की सबसे विश्वसनीय जांच ऐजैन्सी सी बी आई को जांच का जुम्मा सौपा गया लेकिन बिडम्बना यह थी कि उस समय की सरकार की मिलीभगत व प्रभाव शाली वय्क्तियों के केस में संलिप्त होने के कारण जांच भटक गयी और जांच में आंच आ गयी और एक गरीब चिरानी नीलू नाम के व्यक्ति को बलि का बकरा बना दिया गया,एक गरीब जो दो जून की रोटी कमाने के लिए जंगल में गया हुआ था क्या वह व्यक्ति ऐसा दुष्कर्म कर सकता था यह समझ से परे की बात है।जांच के दौरान जब हिमाचल के 8 पुलिस करमियों को इस कांड के साथ जोड़ा गया,और एक आई जी रेंक के अधिकारी जैदी अभी जेल में है की संलिप्तता पाई गई थी।
तथा पुलिस की पूरी टीम दोषियों को बचाने में लगी हुई थी,आखिर किसके कहने पर और किस के ईसारे पर? यह प्रश्न आज भी खड़ा है।
एक मासूम जिसने अभी योवन की दुनियां में कदम भी नहीं रखा था उसे नोच नोच कर खाया गया उसके साथ क्या क्या नहीं हुआ यह सबने अपनी आखों से देखा था लेकिन बड़ा दुख होता है कि हमारा कानून अंधा ही नहीं मुर्दा भी है,क्योंकि जो कहानी घड़कर जांच ऐजैन्सी ने न्यायालय के सम्मुख रखी उसी पर निर्णय दिया जाता है।कहते हैं कि न्यायाधीश पर भगवान की छाया होती है उसे आंख बंद कर कस के पहलू पर यह अहसास हो जाता है कि केस बना है या घड़ा गया है।यह हमारे विश्वास पर निर्भर करता है।
गुड़िया केस में सजा हो गयी पर एक निर्दोष को,उम्मीद करनी चाहिए कि बड़ी कोर्ट में गुड़िया को न्याय मिलेगा।और उनकी आत्मा को शान्ति व माता पिता को संतुष्टी मिलेगी।
गणेश दत्त।
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