हिमाचल के कुल्लू का थप्पड, लात कांड दुर्भाग्यपूर्ण घटना,लेकिन अब यह जांच-पड़ताल का विषय है,जितने मुंह उतनी बातें बंद होनी चाहिए।
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू भूंतर में कल केंद्रीय मंत्री श्री नितिन गड़करी के आगमन के समय हुए दुर्भाग्यपूर्ण वारदात को समाज के किसी वर्ग ने अच्छा नहीं माना है,यह घटना एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी जिसे पुलिस को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है।अच्छी बात यह हुई कि यह एक सामाजिक लड़ाई का मुद्दा नही था अन्यथा इसे सरकार के गले मढ़ दिया जाता।
आवेश में आकर जिस प्रकार से पुलिस अधीक्षक कुल्लू ने मुख्य मंत्री के सुरक्षा अधिकारी पर थप्पड॔ मारा उसे रोका जा सकता था,यद्यपि इसमामले को केंद्रीय मंत्री के प्रोटोकोल के साथ जोड़कर कर बताया जा रहा है,यह निश्चित है कि मंत्री के प्रोटोकोल पर स्थानीय पुलिस के न माने जाने की स्थित में उसे उच्च स्तरीय अधिकारी के संज्ञान में लाया जाना चाहिए था और थप्पड मारने का अधिकार पुलिस अधीक्षक के पास भी नहीं था।एक बड़ी गलती पुलिस अधीक्षक ने की और उससे बड़ी गलती उस पुलिस कर्मचारी द्वारा की गयी जिसने पुलिस अधीक्षक पर लातों से प्रहार किया।यह अकस्मिक वह आवेशिक घटना है इसका खमियाजा दोनों पक्षों को भुगतानना पड़ेगा।लेकिन सरकार को इस घटना पर चिंतित होने पर मजबूर जरूर कर दिया है कयोंकि गलियों चौराहों पर इस घटना की चर्चा आम हो गई है।
इस घटना से जुड़ा एक और विषय भी है जिसने सरकार को सफाई देने के लिए मजबूर कियाहै वह है,हमारा प्रधानमंत्री कैसा हो,नितिन गडकरी जैसा हो,यह नारा फोरलेन संघर्ष समिति के लोगों द्वारा लगाया गया,कयोंकि गड़करी जी ने सभी की बात सुनकर हल निकालने का आश्वासन दिया,लेकिन इस घटना को राजनीतिक ऐंगल से प्रधामंत्री के पास शिकायत करने की द्रष्टि से प्रस्तुत किया जा सकता है।
कुल मिलाकर कल की कुल्लू की घटना रंग में भंग का काम कर गई है।अब इस घटना की जाच के लिये एक समिति बन चुकी है उम्मीद करनी चाहिए कि दूध का दूध वपानी का पानी होगा।और अनावश्यक चर्चा बंद होगी।
गणेश दत्त।
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