जहरीली शराब कांड में सरकार की तुरंत कार्रवाई प्रशंसनीय, पर जमीन पर निगरानी करने वाले तंत्र आज तक कयों सोये रहे, पैसे की भूख ने 7 लोगों की जिंदगी को जहरीली शराब ने लील लिया,20 के करीब जीवन मृत्यु से जूझते रहे,पुलिस की SIT के मुखिया मधुसूदन का कार्य बहुत ही प्रशंसनीय रहा है।
हिमाचल प्रदेश का जहरीली शराब का मुद्दा कांग्रेस के गले की फांस बन गया है।इस जघन्य अपराध में जुड़े कांग्रेस के पदाधिकारियों का संलिप्त पाया जाना इस बात को दर्शाता है कि पैसे की भूख में लिप्त लोगों का अपना दीन ईमान केवल पैसा कमाना ही रह गया है। उन्हें राजनीतिक संरक्षण की जरूरत है। ऐसी घटनायें कभी कभार बिहार में देखने को मिलती थी जहां शराब पर पाबंदी लगाई गई हो,हिमाचल में शराब पीने वालों के लिए तो खुली छूट है लेकिन इस प्रकार की घटनायें क्यों जन्म लेती हैं।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने जहरीली शराब कांड के उजागर होने के साथ ही पुलिस प्रमुख को इसकी जांच के लिए एस आई टी गठित करने के आदेश के साथ ही बहुत जल्दी पुलिस हरकत में आ गई और एक ईमानदार पुलिस अधिकारी डी आई जी मधुसूदन की अगुवाई में छानबीन शुरू कर दी और बहुत जल्दी परिणाम सामने आ गए। लेकिन एक प्रश्न चिन्ह निचले स्तर की ऐजैन्सियों के उपर लगा हुआ है कि आखिर मानव जीवन के ये भक्षण कर्ता किसकी सह पर जी रहे थे,इसका भी खुलासा हो गया कि ये लोग परम्परागत अपराध में सक्रिय रहने वाले कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे।
इस पैसे की भूख ने जहां 7 जिन्दगियों को लील दिया वहीं 20 के करीब लोग जीवन मृत्यु से जूझते रहे।
- अब अपराधी पकड़ में आ गये हैं उनके तार कहां कहां जुड़े हुए हैं उसकी तह तक पहुंचना जरूरी है।
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