मालखाने से 33 किलो “माल चरस” कौन खा गया यह गंभीर विषय है,हिमाचल हाईकोर्ट ने जांच के आदेश तो दे दिए हैं और गृह सचिव व पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर दिया है लेकिन पहले यह तय हो कि मालखाने में हुई गड़बड़ी 33 किलो चरस के कम होने की पहली जिम्मेदारी किसकी है,कहावत है कि बाढ़ ही खेत को खा जाए तो माल को कौन बचाय,यह कहीं नशाखोरों व पुलिस के बीच का गठबंधन तो नहीं है? इसकी गहन जांच की आवश्यकता है.
हिमाचल प्रदेश पुलिस के मालखाने से 33 किलो चरस का गायब हो जाना एक संगीत मामला है.कहीं यह नशा कारोबारियों व पुलिस के बीच का नैकसैस गठबंधन तो नहीं है और इतनी अधिक मात्रा में चरस का गायब हो जाना किसी की मिलीभगत का परिणाम तो नहीं है.जिस प्रकार से सरकार ने तर्क दिया है कि 33 किलो चरस सूख गयी होगी ,इसकी भी जांच होनी ही चाहिए कि क्या इतनी अधिक मात्रा में चरस सूख सकती है?
इस मामले की गहन जांच पड़ताल होना बहुत आवश्यक है.
गणेश दत्त.
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