हिमाचल की नई सरकार नई नई समस्याओं से जूझती हुई,मुख्य मंत्री उप मुख्य मंत्री के बाद अब मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय-जातीय बरिष्ठता संतुलन साधना बड़ी चुनौती एक अनार सौ बीमार जैसी स्थिति,कुछ विधायक अंतिम बार मंत्री बनने के लिए जी जान लगा लेंगे;बिक्रमादित्य सिंह का मंत्री बनना तय लेकिन अन्य बरिष्ठ विधायक भी बरिष्ठता का हवाला देकर मंत्री की रेस में शामिल हुए,लेकिन बिक्रमादित्य सिंह का नाम हाईकमान ने तय कर दिया है।
हिमाचल की नई सरकार के लिए चुनौतियां किसी पहाड़ से कम नहीं हैं, मुख्य मंत्री उप मुख्य मंत्री बनने के बाद अब मंत्रिमंडल का विस्तार एक कठिन चुनौती मानी जा रही है ।जातीय क्षेत्रीय व बरिष्ठता को अधिमान देना ही पड़ेगा।नई सरकार के सामने कांगड़ा व शिमला जिला में संतुलन साधना सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रही है।
इस चुनाव में कांगड़ा जिला से सबसे अधिक 10 सीटें कांग्रेस को मिली हैं यहां से चन्द्र कुमार चौधरी सबसे पुराने विधायक हैं और चौधरी बिरादरी से आते हैं और कांगड़ा एक प्रकार से घिरत बिरादरी का बाहुल्य क्षेत्र है।इसलिए चन्द्र कुमार चौधरी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।उसके बाद सुधीर शर्मा नंबर आता है जो कांग्रेस के सबसे पुराने परिवार से संबंधित हैं तथा ब्राह्मण समाज से आते हैं और वीरभद्र सिंह जी के खासमख रहे हैं । बुटेल परिवार का अपना एक अलग रुतब है,पहले बृजबिहारी बुलेट विधान सभा अध्यक्ष रहे हैं अब उनका बेटा दूसरी बार विधायक बन कर आया है इसलिए संभावना है कि बुटेल को मंत्री बना दिया जाय
शिमला जिला से बिक्रमादित्य सिंह का मंत्री बनना तो तय माना जा रहा है लेकिन रोहित ठाकुर व अनिरुद्ध सिंह बिक्रमादित्य सिंह से बरिष्ठ होने का अपना दावा पेश कर रहे हैं रामपुर से नंदलाल व रोहड़ू से मोहन लाल ब्रगटा बिक्रमादित्य सिंह के राह का रोड़ा नहीं बनना चाहते।
सिरमौर से हर्षवर्धन चौहान का मंत्री बनना तय माना जा रहा है।
सोलन से कर्नल धनीराम एक मात्र सदस्य हैं जो उपमुख्य मंत्री की लाइन में थे लेकिन हाईकमान ने और अधिक उपमुख्य मंत्री बनाने की मांग खारिज कर दी है इसलिए कर्नल धनीराम शान्डिल मंत्री बनेगे।
हमीरपुर से यद्पि मुख्य मंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू मुख्य मंत्री हैं शायद किसी का नंबर लगे कह नहीं सकते लेकिन राजेन्द्र राणा अपना दावा मजबूती से रख रहे हैं।
मंडी से एक मात्र विधायक चन्द्र शेखर जीत कर आये हैं हो सकता है कि मंडी में कांग्रेस की बुरी हालत को देखते हुये चन्द्र शेखर को झंडी मिल जाय।
किन्नौर से जगत सिंह नेगी का मंत्री बनना तय माना जा रहा है।कुल्लू जिला लाहौल स्पिति को शायद अभी मंत्री पद न मिले ऐसी संभावना है।
चंबा से भटियात से जीतकर आये कुलदीप पठानियां को मंत्री या विधान सभा उपाध्यक्ष बनाया जा सकता है।
जिला व क्षेत्र के अलावा पार्ट में गुटीय समीकरण को भी देखा जा रहा है जिससे भविष्य में को खलल न पड़ सके और सरकार ठीक प्रकार से चले इसलिए कांग्रेस का हाईकमान फूंक फूंक कर कदम रख रहा है।फिलहाल तो विधान सभा सत्र को निपटाने की ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है और राजनैतिकक्षेत्रमें मंत्रिमंडलन बना पाने में कांग्रेस की किरकिरी हो रही है।क्योंकि इस पूरे चुनाव में वीरभद्र माडल की बात कांग्रेस की तरफ से आती रही है लेकिन उसका कितना असर हुआ होगा यह तो कांग्रेस ही जाने, लेकिन प्रतिभा सिंह गुट इस बात को अवश्य भुनायेगा।कांग्रेस का हाईकमान भी इस बात को महसूस करता है कि वीरभद्र परिवार को नजरअंदाज कर सरकार चलाना आसान नहीं होगा।
मुख्य मंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कड़े संघर्ष के बाद मुख्य मंत्री की कुर्सी तक पहुंचे हैं यह उनकी संघर्ष की जीत है जिसने वीरभद्र सिंह जैसे व्यक्ति से टकरा कर राजनीति में अपना स्थान बना रखा है।उनके संघर्ष के साथियों को भी उनसे बहुत उम्मीदें हैं।जिन पर सुक्खू को खरा उतरना है।
गणेश दत्त।
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