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व्यवस्था परिवर्तन वास्तव में हुआ है , या व्यवस्था का कांग्रेसी अधिग्रहण?हिमाचल प्रदेश में व्यवस्था परिवर्तन एक नारा था जो साकार हो गया,सभी राष्ट्रीय पर्व मेले ,फेस्टिवल अब सरकारी न होकर पार्टी के प्रोग्राम बनकर रह गये हैं,व्यवस्था यह थी कि किसी राष्ट्रीय पर्व पर ,हिमाचल दिवस पर, अंतर्राष्ट्रीय मेले उत्सवों पर सरकार विपक्ष को ,मान्यताप्राप्त प्रैस को कार्ड्स निमंत्रण पत्र भेजकर आमंत्रित करती थी लेकिन अब सब कुछ ब॔द है,अब तो हमारी सरकार की जगह कांग्रेस सरकार कहना ही उचित होगा कयोंकि किसी भी आयोजन में विपक्ष का नाम ही गायब हो गया है इसलिए व्यवस्धा परिवर्तन निश्चय ही हुआ है।

हिमाचल में सुक्खू सरकार के सत्ता में आते ही व्यवस्था परिवर्तन का स्लोगन प्रचारित किया था,हमें भी खुसी हुई थी कि एक संघर्षशील व्यक्ति आया है तो निश्चित ही कुछ नया होगा,लेकिन यहां तो सब नया नया ही हो रहा है।

सरकारी दफ्तरों का कांग्रेसीकरण,सरकारी कार्यक्रमों का कांग्रेसीकरण,राष्ट्रीय पर्वों का कांग्रेसीकरण, अंतरराष्ट्रीय मेले पर्वों का कांग्रेसीकरण और सब जगह केवल कांग्रेस का ही बरचस्व हो गया है।

किसी समय राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त, 26 जनवरी ,15 अप्रैल हिमाचल दिवस, अंतरराष्ट्रीय समरफैस्टीवल, कुल्लू दशहरा,मण्डी शिवरात्रि और अनेकों अनेक उत्सवों में पूरी मान्यताप्राप्त प्रैस, सभी राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों को निमंत्रण पत्र भेजे जाते थे लेकिन अब प्रशासन सत्ता पक्ष की चापलूसी में सब कुछ भूल गया है।इसलिए यह कहना चाहिए कि अब व्यवस्था परिवर्तन नहीं व्यवस्था का कांग्रेसी अधिग्रहण कहना उचित होगा।

गणेश दत्त।

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