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विधान सभा अध्यक्ष को हटाने का कांग्रेस का नोटिस सीधा रिजेक्ट करने लायक है।जिन धाराओं का जिक्र किया गया है वह अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के ईस्तीफा दिये जाने की स्थिति में प्रयोग होती हैं, हिमाचल विधान सभा कार्यसंचालन नियमों के अनुसार कोई भी नोटिस दिए जाने के 15 दिन तक बैध होता है—संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्ज।

विधान सभा सत्र के आखिरी दिन आज विधान सभा में विपक्ष सरकार के निशाने पर रहा।मामला था विपक्ष द्वारा विधान सभा अध्यक्ष को पद से हटाने की मांग से सम्बंधित।
संसदीय कार्य मंत्री श्री सुरेश भारद्ज ने नोटिस पर व्यंग्य कसते हुए कहा कि यह नोटिस सीधे रिजेक्ट करने योग्य है कयोंकि विपक्ष ने अध्यक्ष को हटाने के लिए संविधान की जिस धारा की व्यवस्था का हवाला दिया है वह विधान सभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष द्रारा ईस्तीफा देने की स्तिथि से उत्पन्न पर लागू होता है ,उन्होंने दूसरी व्यवस्था दी कि हिमाचल के कार्यसंचालन समिति की व्वस्था के अनुसार कोई भी नोटिस विधान सभा सत्र के 15दिन तक बैध माना जाता है जबकि आज सत्र का आखिरी दिन है और आगे 15 दिन तक कोई सत्र नहीं है।इसलिए यह नोटिस सस्टेनेबल नहीं है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।
माकपा विधायक राकेश सिंघा जिसने कांग्रेस विधायकों के साथ वाक्आउट में
भाग नहीं लिया उन्होंन कहा कि इस तरह के नोटिस लोकतंत्र के लिए अच्छी बात नहीं है लेकिन मैं सरकार के प्रस्ताव से अपने को अलग करता हूं।
मुख्य मंत्री श्री जयराम ठाकुर ने कहा कि विपक्ष के नेता केवल सुर्खियां बटोरने के लिए इस तरह की हरकते करते हैं।तथा कांग्रेस में नेता बनने की होड़ लगी हुई है।

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