हिमाचल विश्व विद्यालय में वाइस चांसलर डा: सिकंदर कुमार से क्यों परेशान हैं वामपंथी और कांग्रेस के विद्यार्थी संगठन?उन्हें ईमानदारी व न्यायपूर्ण व्यवस्था से परेशानी है या कुछ और?गत दो वर्षों से आन्दोलन धर्ना प्रदर्शन हो हल्ला करके शिक्षा का माहौल खराब करने का प्रयास दुर्भाग्यपूर्ण है,एक बार जब डाक्टर विष्णुकांत शास्त्री राज्य पाल थे तो उन्होंने मुझ से चर्चा की कि हिमाचल विश्वविद्यालय में ऐसा कयों है?
हिमाचल विश्व विद्यालय के छात्र आंदोलनों और रोज रोज के धरना-प्रदर्शनों से लगभग सभी राज्यपाल जो विश्व विद्यालय के चांसलर भी होते हैं उन्नेहोंने समय समय पर अपनी पीड़ा को जाहिर किया है।एक समय जब डा: विष्णुकांत शास्त्री राज्यपाल थे तो उन्होंने हिमाचल विश्व विद्यालय के घरने प्रदर्शनों पर अपनी पीड़ा को जाहिर किया, में किसी काम से राजभवन गया हुआ था तो उन्होंने कहा कि हम भी विद्यार्थी थे समय-समय पर अपनी मांगों के लेकर जाते थे लेकिन हमने कभी भी अभद्रता का परिचय नहीं दिया,हिमाचल तो बहुत ही शान्त प्रदेश है यहां के विद्र्थियों से ऐसी अपेक्षा नहीं की जा सकती है।उन्होंनें सभी छात्र संगठनों के बारे में अपने विचार व्यक्त किये।
आज जब हिमाचल विश्व विद्यालय की चर्चा की जाए तो छात्र संगठनों को संयमित होकर चलना चाहिए क्योंकि आज के वाइस चांसलर इसी विद्यालय से निकले हुए प्रोफेसर हैं,लेकिन आये दिन शोरगुल हल्ला गुल्ला कोटकचहरी आदि आदि बहुत ही चिंता का विषय है।एक ओर कोविड काल की समस्या पढाई का माहौल नहीं बनने दे रही है, जो समय मिलता है उसमें दूषित वातावरण बहुत चिंता का विषय है।सभी छात्र संगठनों को बैठकर शिक्षा का माहौल ठीक करने का प्रयास करना चाहिए ।आये दिन हो हल्ला धरना-प्रदर्शन किसी समस्या का हल नहीं है विद्यालय प्रशासन को भी चाहिए कि जो भी जायज मांगें हों उनका हल निकाल लेना चाहिए। अनावश्यक हड़ताल थरना प्रदर्शन पर आवश्यक कार्रवाई होनी चाहिए।
आम लोगों को यह पता नहीं चल रहा है कि यह परेशानी आखिर किस लिए है,ईमानदारी से काम करने की,निष्पक्षता से काम करने की या कुछ और?
गणेश दत्त।
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