संसद के नये भवन में सत्य निष्ठा व ईमानदारी का प्रतीक “सेंगोल “का स्थापित किया जाना हमारी प्रचीन संस्कृति व परम्परागत धरोहर एवं हमारी सत्ता की एक नयी मिशाल है,आजादी के बाद सेंगोल को एक संग्रहालय में रख दिया था तथा कभी किसी ने उसक सुध नहीं ली,प्रधान मंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी कल याने 28 मई को नये संसद भवन का उद्घाटन करेंगे,कर्तव्य निष्ठा व इमानदारी की पहचान को आजादी के 77 साल बाद “सेंगोल” को संसद भवन के पीठासीन अध्यक्ष के साथ स्थापित किया जायेगा इसकी विधिवत पूजा अर्चना के बाद वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ स्थापित किया जायेगा।
सत्ता में रहते हुए सत्य निष्ठा एवं ईमानदारी की मिशाल को जिंदा रखना सत्तारूढ पार्टी का पहला कर्त्तव्य होता है।इसी द्रिष्टि से सत्ता हस्तांतरण के समय सेंगोल को भी संसद भवन अथवा सत्ता के कार्यक्षेत्र में सेंगोल को स्थापित करने की परमपरा थी लेकिन 1947 में भारत को आजादी के मिलते ही सेंगोल को संसद भवन में स्थापित करने के बजाय उसे संग्रहालय में रख दिया था।जिसकी आज तक किसी न सुध तक नहीं ली थी।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को जैसे ही सेंगोल के स्थापित करने की परमपरा का पता लगा तो उन्होंने तत्काल सेंगोल को स्थापित करने का निर्णय लिया जो आज सारे विश्व में भारत की प्राचीन परम्परा

का संदेश दे रही है और सारे विश्व व बुद्धिजीवियों के खोज का विषय बन गया है।28 मई का दिन भारत के इतिहास में नये संसद भवन के लोकार्पण का साक्षी बनेगा और सेंगोल भारत के इतिहास की पुनर्जीवित करने का भी दिन बनेगा।प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी लोकसभा अध्यक्ष/उपाध्यक्ष तथा केन्द्रीय कैबिनेट सहित देश के विशिष्ट जन इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ायेंगे।
गणेश दत्त।
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