मुश्लिम पर्सनल ला बोर्ड सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से खफा,तलाक सुदा महिलाओं को गुजारा भत्ता देने के न्यायालय के निर्णय के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का निर्णय, अब सवाल यह है कि सर्वोच्च न्यायालय ने ही निर्णय दिपा है तो सर्वोच्च न्यायालय से ऊपर कौन सी कोर्ट है जहां से लड़ाई लड़ी जापेगी.मुश्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को शाहबानू केस जैसा मामला बताकर निर्णय को सरियत के अधिकारों पर अतिक्रमण बताया है.
सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद कि तलाक सुदा मुश्लिम महिलाओं को भी गुजरा भत्ता मिलने के अधिकार हैं, के निर्णय से खफा मुश्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने उस निर्णय के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया है.मुश्लिम पर्सनल ला बोर्ड की बैठक में मुश्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने का निर्णय लिया है,अब सवाल यह है कि सर्वोच्च न्यायालय ने ही तलाक सुदा मुश्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता देने की बात कही है तो अब और कौन सी कोर्ट बच गयी है.,मुश्लिम पर्सनल बोर्ड के निर्णय के बाद अब न्यायालय और मुश्लिम पर्सनल ला बोर्ड के बीच कानूनी उलझन बढ़ने की संभावना है.मुश्लिम पर्सनल बोर्ड ने इसे सरियत अधिकारों पर अतिक्रमण बताया है.
गणेश दत्त.
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